छरहरी दिखने के चक्कर में मनोरोग का शिकार हो रहीं लड़कियां

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एनसीईआरटी के मनोदर्पण टेली काउंसिलिंग और ऑफलाइन सर्वे में खुलासा, कम खाने और ज्यादा एहतियात बरतने से बीमार हो रहीं छात्राएं

पटना, वरीय संवाददाता। जीरो फिगर के चक्कर में राज्य की आधी से अधिक स्कूली छात्राएं मानसिक तौर पर बीमार हो रही हैं। एनसीईआरटी के मनोदर्पण टेली काउंसिलिंग और ऑफलाइन सर्वे में यह बात सामने आई है। एनसीईआरटी की मानें तो निजी स्कूल के साथ सरकारी स्कूल की छात्राएं भी जीरो फिगर रखना चाहती हैं। इसका असर है कि राज्य की 55 फीसदी स्कूली छात्राएं मानसिक रूप से बीमार हो रही हैं। एनसीईआरटी की मानें तो इनमें से 30 से 35 फीसदी छात्राओं को यह पता नहीं है कि वह बीमार हैं। इससे कक्षा की पढ़ाई में उनका मन नहीं लगता, लगातार शरीर कमजोर होने लगता हैं। स्कूल काउंसिलिग में सही कारण का पता चलता है। सर्वे में छात्राओं से जब पूछा गया तो 31345 छात्राओं में 50 से 55 फीसदी ने बताया कि उन्हें जीरो फिगर बहुत पसंद है। इसके लिए वे तरह-तरह के उपाय भी करती हैं। बता दें कि एनसीईआरटी की ओर से 31345 छात्राओं पर सर्वे किया गया था। इनमें 5432 सरकारी और शेष निजी स्कूल की छात्राएं थीं।

एनोरक्सिया नर्वोजा से 45 फीसदी छात्राएं ग्रसित मनोवैज्ञानिक कुमुद श्रीवास्तव ने बताया कि एनोरेक्सिया नर्वोजा एक प्रकार का आहार संबंधी विकार है। इसमें शारीरिक वजन बढ़ने का डर बना रहता है। इससे ग्रसित छात्राएं अपने शरीर, भोजन और खाने की आदत के बारे में हमेशा चिंतित रहती हैं। यह काफी गंभीर बीमारी है और इससे 40 से 45 फीसदी छात्राएं ग्रसित हैं। खानपान और असामान्य एहतियात रखने के कारण खासकर स्कूली छात्राएं अधिक प्रभावित हो रही हैं।

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मनोरोग का शिकार हो रहीं लड़किया एनसीईआरटी ने सातवीं से 10वीं तक की छात्राओं पर किया सर्वे

● बिहार से 31345 छात्राएं हुईं शामिल

● सरकारी स्कूल की पांच हजार और शेष निजी स्कूलों की थीं छात्राएं

● सर्वे जनवरी से मार्च तक किया गया

● सर्वे में 20 प्रश्न छात्राओं से पूछे गए

बाइपास स्थित एक स्कूल की नौंवी कक्षा की छात्रा जूही (बदला हुआ नाम) खाना खाने के बाद उल्टी कर देती थी ताकि वह दुबली बनी रहे। उसे देख कर उसकी कक्षा की कई छात्राएं भी यह करने लगीं। छात्राओं ने इसकी जानकारी सर्वे में पूछे गये प्रश्न में दिया। छात्राओं ने बताया कि उल्टी करने से मोटापा नही होगा। बाद में इनका इलाज करना पड़ा।

कुर्जी स्थित एक स्कूल की आठवीं कक्षा की छात्रा कविता (बदला हुआ नाम) लंच लेकर स्कूल नहीं आती है। सुबह बिना कुछ खाए ही स्कूल आती है। आए दिन पेट और सिर दर्द से परेशान रहती है। कुछ दिन तो ठीक रहा लेकिन बाद में स्कूल काउंसिलिंग में अभिभावकों को पता चला कि वह जीरो फिगर के चलते वह मानसिक रूप से बीमार है। अब कविता का इलाज चल रहा है।

स्कूली बच्चियों में जीरो फिगर के केस काफी बढ़े हैं। छात्राएं टेली काउंसिलिंग में फोन कर जीरो फिगर के बारे में टिप्स मांगती हैं। अभी हाल में एक सर्वे में भी यह दिखा है। इससे बच्चियां मानसिक रूप से बीमार हो रही हैं। वह हमेशा अपनी शारीरिक बनावट के बारे में सोचती रहती हैं।

-प्रमोद कुमार, काउंसलर, एनसीईआरटी